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विश्व धर्म के रुप में समरत मानव जाति द्वारा स्वीकृत अहिंसा मयी जैन धर्म का आधार है परम ज्ञानी तिर्थंकर प्रभु द्वारा किया गया उपदेश तथा उनको प्रथम स्थान देकर उनके मर्ग पर आरुढ पंच परमेष्ठी पद को प्राप्त आत्माऑं को नमन करने वाला मंत्र णमोकार |

अनादी निधन अपराजित तथा सर्वमंगलमयी इसी मंत्र की आराधना कर प्राणी मुक्ती मर्ग पर अपने कदम रखता है | सभी बीजाक्षरों से समन्वित यह मंत्र अमोघ शक्ति तथा परम सुख देने वाला है |

परम पूज्य प्रज्ञाश्रमण सर्वोदयी राष्ट्र संत सारस्वताचार्य श्री १०८ देवनन्दि जी गुरुदेव की इस महामंत्र पर विशद चिंतनोपरांत यह सात्विक भवना रही है कि एक ऐसे तिर्थ का उदय हो जहॉं णमोकार मंत्र संबंधी विशेष अनुसंधान हो, जहॉं इस महामंत्र में समाहित पंचपरमेष्ठी अरिहंत सिद्ध आचार्य उपाध्याय एवं साधु परमेष्ठीयों की साकार प्रतिमाऑं के साथ ही उनके गुणों का भी चित्रण हो, यह तीर्थ रत्नत्रय रुप हो, यहॉं श्रध्दा शिक्षा एवं सेवा का अनुठा संगम हो तथा यहॉं विश्वास, विद्या एवं वात्सल्य की त्रिवेणी भी हो | परम पूज्य आचार्य श्री के मन में काफी वर्षा से चल रहें इस शुभ संकल्प के चिंतन २०१३ में श्री श्रेत्र कचनेरजी में मूर्त रुप देने का कार्य प्रारंभ किया गया ऑर परिणामतः सर्व प्रथम इस परम तीर्थ के लिये नासिक धूलियॉं (मुंबई – दिल्ली) महामार्ग क्र. ३ पर अवस्थित चालीस एकड का विशाल भूखंड का चयन किया गया |

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णमोकार तीर्थ पर रिषी पंचमी को परम पूज्य ज्ञानयोगी प्रज्ञाश्रमण सारस्वताचार्य देवनंदि गुरुदेव के मंगल दर्शन को पधारे नाग नागिन की भव्य जोडी | करीब ३५ मिनट तक बैठे रहे नाग युगल की जोडी पूज्य गुरुदेव के समीप |
संघस्त त्यागि गणोंसहीत सैकडों लोगों ने प्रत्यक्ष दर्शन किए | गुरुदेव ने नाग नागिन जोडी को आशिर्वाद देकर णमोकार महामंत्र सुनाया |

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प. पू. आचार्य श्री देवनंदिजी गुरुदेव के निर्देशन एवं सानिध्य में बन रहे णमोकार तिर्थ (ता. चांदवड, जि. नाशिक) का शिलान्यास एवं भुमिपूजन समारोह दि. ८ फरवरी २०१४ को हजारों भक्तों ऑर मान्यवर अतिथीऑं के उपस्थिती मे संपन्न हुआ |
त्यागी निवास ऑर आहार भवन का काम सिर्फ २ महिने में पुरा होगा |